वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />२० सितम्बर २०१५<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />भागवद गीता (अध्याय २ श्लोक ६९)<br />या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।<br />यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।<br /><br />अर्थ:<br />सम्पूर्ण मनुष्यों की जो रात है उसमें संयमी मनुष्य जागता है और<br />जिसमें साधारण मनुष्य जागते हैं वह तत्त्वको जाननेवाले मुनिकी दृष्टि में रात है।<br /><br />प्रसंग:<br />संतो के वचनों का किस प्रकार पढ़े?<br />श्रीकृष्ण कौन है?<br />संयमी मनुष्य का क्या अर्थ?